कम निवेश में शुरू होने वाला यह व्यवसाय बेरोजगारों और छोटे व्यवसायियों के लिए एक सुनहरा अवसर हैकम निवेश में शुरू होने वाला यह व्यवसाय बेरोजगारों और छोटे व्यवसायियों के लिए एक सुनहरा अवसर है
रेस्तरां, घर, हॉस्पिटल से स्कूल तक हर जगह टिशू पेपर की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके व्यापार में जोखिम भी कम होता है।
पहले तय करें कि कौन सा प्रोडक्ट बनाना है: टेबल नैपकिन, किचन टॉवल, फेस टिशू या टॉयलेट पेपर? लोकल मार्केट में इसकी मांग और कीमत पता करें
500–1000 sq.ft की सूखी जगह चुनें, जहाँ मशीन और स्टोरेज की सुविधा हो, साथ ही बिजली और ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी जरूरी है।
Parent roll paper (विभिन्न GSM/ply), पैकेजिंग मैटेरियल जैसे पॉलीबैग, बॉक्स, गोंद, लेबल और प्रिंटिंग स्लीव्स की आवश्यकता होती है।
Semi-automatic और Fully-automatic दोनों मशीनें उपलब्ध हैं—प्रोडक्शन क्षमता, बिजली खपत, रोल चौड़ाई और सर्विस सपोर्ट ध्यान में रखें।
Udyam Registration, GST, ट्रेड लाइसेंस और BIS/ISI (यदि मार्क इस्तेमाल करना हो) जरूर प्राप्त करें।
मशीन (₹3–5 लाख), रॉ मैटेरियल (₹50–100 हज़ार), पैकेजिंग (₹20–40 हज़ार), सेटअप (₹25–50 हज़ार) और वर्किंग कैपिटल (₹1–1.5 लाख)। कुल: ₹3–8 लाख।मशीन (₹3–5 लाख), रॉ मैटेरियल (₹50–100 हज़ार), पैकेजिंग (₹20–40 हज़ार), सेटअप (₹25–50 हज़ार) और वर्किंग कैपिटल (₹1–1.5 लाख)। कुल: ₹3–8 लाख।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) – Shishu, Kishore, Tarun श्रेणियों में लोन दे, साथ में ब्याज सब्सिडी और मशीन पर पूंजी सहायता भी मिल सकती है।